google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 पोस्‍ट के माध्‍यम से ही लोगों को जबाब देने का सिलसिला शुरू .....

पोस्‍ट के माध्‍यम से ही लोगों को जबाब देने का सिलसिला शुरू .....

परसों मेरी लेख पढने के बाद एक ब्‍लॉगर भाई का ईपत्र मिला ......


कल फिर आपकी एक अच्छी पोस्ट पढने को मिली। उसी के साथ करीब साल भर पहले
की एक कसक भी उभर आई, जब बहुत ही ज्यादा परेशानी में बड़ी आशा से आप का
मार्ग-दर्शन चाहा था पर ...



इस मैसेज को पढने के बाद मुझे भी कुछ याद आया , मैने उनके नाम से आए पुराने ईमेल सर्च किए तो पाया कि इन्‍होने डेढ वर्ष पूर्व यानि मार्च 2010 में मुझसे ज्‍योतिषीय सलाह लेने के लिए संपर्क किया था। फिर अपने प्रोग्राम के डेटाबेस को देखा , तो उसमें उनका पूरा डिटेल्‍स और आवश्‍यक गणना मौजूद था। बच्‍चों के बारहवीं बोर्ड और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश परीक्षाओं पर मेरा पूरा ध्‍यान संकेन्‍द्रण बने होने से पिछले तीन वर्षों से फरवरी से जुलाई तक किसी काम में कम ही रूचि बनी रही। तीनों ही वर्ष इन महीनों  में ब्‍लॉग जगत में मेरी सक्रियता कम रही , ज्‍योतिष के क्षेत्र में भी क्रियाकलाप कम हो गए थे। मेरे ब्‍लॉगिंग में पोस्‍टों की संख्‍या से भी इसका अंदाजा लग सकता है। बच्‍चों के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के बाद पिछले छह आठ महीने से उन पारिवारिक कार्यों में व्‍यस्‍तता बनी हुई है , जिसे तीन वर्षों या उससे पहले से टालती आ रही थी । यही कारण है कि अभी तक किसी भी क्षेत्र में अभी तक नियमितता का अभाव बना हुआ है। 


ज्‍योतिषियों के पते और फोन नं पर संपर्क करनेवालों की कमी नहीं होती , प्रतिदिन एक दो मेल आते रहते हैं , गणना करने से पहले किसी पत्र को प्राथमिकता दी नहीं जा सकती , कभी पत्र की भाषा से जरूरी समझते हुए , तो कभी परिचित देखकर कुछ पत्रों को छांटकर उनके जन्‍म विवरण और आवश्‍यक अन्‍य डेटा अपने डेटाबेस में डाल दिया करती हूं। डेटाबेस में होने से कुछ गणना मेरे द्वारा बनाए गए सॉफटवेयर कर देते हैं (यह काम भी व्‍यस्‍तता की वजह से पूरा नहीं हो सका है) और थोडी गणना मुझे खुद करनी होती है , तब जाकर किसी को कुछ सलाह दी जा सकती है। पर मेरे पास इतना भी समय नहीं होता कि उनको ईमेल किया जा सके। इनके साथ ऐसा ही हुआ था , मैं उनको जबाब नहीं दे सकी थी , पर उनकी सारी गणना हो चुकी थी।


समय होने पर अधिकांश को एक छोटा सा ईमेल भेज दिया करती हूं कि उनका केलकुलेशन हो चुका है , फोन नं दे देने पर वे फोन पर संपर्क कर लेते हैं। बहुत सारे लोगों के काम होने के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो पाता है , जब वे फोन करते हैं , मैं व्‍यस्‍त रहती हूं। जब मैं थोडी फुर्सत में होती हूं , तो लोग व्‍यस्‍त हो जाते हैं। इस तरह कुछ दिनों तक तालमेल न बन पाने से कितनों की गणनाएं  मेरे पीसी में ही पडी रह जाती हैं। हां , कभी कभी मैं जिनकी गणना नहीं किए होती , वही बार बार तकाजा करते हुए अपना काम करवा लेते हैं। मेरे रूटीन में भी इससे असुविधा आती है , पर उन्‍हे कितनी बार मना किया जाए ?? 


इन सबसे बचने के लिए यानि अपने और उनके समय को समय को बचाने के लिए मै अपने ब्‍लॉग पर इस पोस्‍ट के माध्‍यम से ही लोगों को जबाब देने का सिलसिला शुरू कर रही हूं। पिछली पोस्‍ट में मैने एक कुंडली में मौजूद समस्‍या के बारे में चर्चा करते हुए रांची के उक्‍त सज्‍जन को ज्‍योतिषीय सलाह दी थी। ब्‍लॉग पर ही जबाब पढ लेने से उनके साथ साथ मुझे भी काफी सुविधा हुई , नाम न होने से किसी के प्राइवेसी को भी कोई खतरा नहीं रहेगा और बाकी पाठकों का भी ज्ञानवर्द्धन होगा। इस पोसट में उक्‍त ब्‍लॉगर भाई का ग्राफ दिया जा रहा है , जो मेरे कंप्‍यूटर के प्रोग्राम ने निकालकर दिया है .....



जैसा कि आप सभी देख रहे होंगे , 1978 तक उनके जीवन में बिल्‍कुल सहज सुखद परिस्थितियां दिखाई दे रही हैं , पर उसके बाद ग्राफ के नीचे जाने का अर्थ स्‍तर के साथ साथ जबाबदेहियों का बढना दर्शा रहा है। 1984 के बाद कुछ बढे हुए रूप में 1990 के बाद और बढे हुए रूप में तथा 1996 के बाद और बढते हुए 2002 तक लगातार दबाबपूर्ण परिस्थितियां झेलते रहें , इन्‍हें 1984 से 1996 तक पारिवारिक और खर्च तथा 1996 से 2008 तक सामाजिक और ऑफिशियल मामलों का कष्‍ट झेलना पडा।  हालांकि पूरी जीवनयात्रा में कहीं भी जीवन स्‍तर में कमजोरी नहीं दिखाई दे रही है , पर फिर भी जीवन आसान नहीं रहा। 2002 के बाद खुद संघर्ष करते हुए संतान पक्ष से हर प्रकार के सहयोग प्राप्‍त होने से जीवन में कुछ सुधार हुआ और 2008 के बाद परिस्थितियों के ग्राफ में कोई गडबडी नहीं दिखाई दे रही है। वृद्धावस्‍था के सभी ग्रहों के मजबूत होने से कुल वातावरण संतोषजनक है। पर गोचर में शनि के ढैय्या ने अगस्‍त 2008 के बाद मानसिक शांति को समाप्‍त कर रखा है। भाई बंधु या मातृ पक्ष का सहयोग न बनने से इनके सम्‍मुख लाभ के वातावरण में गडबडी आयी है , खासकर दोनो ही वर्ष दिसंबर से जून तक समस्‍याएं काफी बढ जाती हैं। जून 2011 के बाद कुछ राहत मिलने की उम्‍मीद है , थोडी बहुत समस्‍याएं रहेंगी , जो क्रमश: कम होती हुई 2012 तक काफी अच्‍छी हो जाएंगी। संतान पक्ष के काम बनने का समय , लाभ या  व्‍यापार से संबंधित मामलों में सुधार अप्रैल 2012 से होगा । कुल मिलाकर 2012 के बाद के जीवन से इनको बडी शिकायत नहीं रहेगी। 
संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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