सरस्‍वती पूजा पर आज तो बस पुरानी यादें ही साथ हैं !!

सरस्‍वती पूजा को लेकर सबसे पहली याद मेरी तब की है , जब मैं मुश्किल से पांच या छह वर्ष की रही होऊंगी और सरस्‍वती पूजा के उपलक्ष्‍य में शाम को स्‍टेज में हो रहे कार्यक्रम में बोलने के लिए मुझे यह कविता रटायी गयी थी ... शाला से जब श…

मिथ्‍या भ्रम (कहानी) ... संगीता पुरी

hamari kahani ‘क्‍या हुआ, ट्रेन क्‍यूं रूक गयी ?’ रानी ने उनींदी आंखों को खोलते हुए पूछा। ’अरे, तुम सो गयी क्‍या ? देखती नहीं , बोकारो आ गया।‘ बोकारो का नाम सुनते ही वह चौंककर उठी। तीन दिनों तक बैठे बैठे कमर में दर्द सा हो रह…

आदर्शवादी सास की बहू ...

आज प्रस्‍तुत है .. मेरी छोटी बहन श्रीमती शालिनी खन्‍ना की एक रचना 'आदर्शवादी सास की बहू'.. पहले यह नुक्‍कड पर भी पोस्‍ट हो चुकी है .. टी वी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, स्‍कूटर, क्‍या करूंगी ये सब लेकर, बस एक अच्‍छी सी बहू चाहिए …

सिक्‍के का दूसरा पहलू

hamari kahani एक झूठ के बाद पढें मेरी अगली कहानी ... सिक्‍के का दूसरा पहलू आज इस व्‍हील चेयर पर बैठे हुए मुझे एक महीने हो गए थे। अपने पति से दूर बच्‍चों के सान्निध्‍य में कोई असहाय इतना सुखी हो सकता है , यह मेरी कल्‍पना …

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