जिनका सबकुछ उजड गया

दो महीने हिंदी ब्‍लॉग जगत से दूर रहने के बाद आज आपलोगों से मुखातिब होने का मौका मिला है। इस दौरान सारे ब्‍लॉगों पर मेरा क्रियाकलाप बंद ही रहा। समाचार के माध्‍यम से देश दुनिया की हर खबर तो मिलती रही , पर अपने ब्‍लॉग के माध्‍यम से …

ईश्‍वर से प्रार्थना है ,... सबकुछ शांतिपूर्वक संपन्‍न हो जाए !!!

एक महीने से नेट से दूर हूं , पंद्रह दिनों तक भतीजे के ब्‍याह की व्‍यस्‍तता बनी रही , उसके बाद खुद के अपने क्‍वार्टर में शिफ्ट होने की तैयारी में व्‍यस्‍त हूं। इस दौरान होली की शुभकामना भरा  एक पोस्ट प्रकाशित ही नहीं हुआ . पिछले…

सरस्‍वती पूजा पर आज तो बस पुरानी यादें ही साथ हैं !!

सरस्‍वती पूजा को लेकर सबसे पहली याद मेरी तब की है , जब मैं मुश्किल से पांच या छह वर्ष की रही होऊंगी और सरस्‍वती पूजा के उपलक्ष्‍य में शाम को स्‍टेज में हो रहे कार्यक्रम में बोलने के लिए मुझे यह कविता रटायी गयी थी ... शाला से जब श…

मिथ्‍या भ्रम (कहानी) ... संगीता पुरी

hamari kahani ‘क्‍या हुआ, ट्रेन क्‍यूं रूक गयी ?’ रानी ने उनींदी आंखों को खोलते हुए पूछा। ’अरे, तुम सो गयी क्‍या ? देखती नहीं , बोकारो आ गया।‘ बोकारो का नाम सुनते ही वह चौंककर उठी। तीन दिनों तक बैठे बैठे कमर में दर्द सा हो रह…

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