अगस्त, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
अभी तक आपने पढा ... इस तरह घर गृहस्थी में उलझने के बाद अपने कैरियर की ओर मेरा ध्यान नहीं रह गया था। भले ही स्वयं की संतुष्टि के लिए मै कुछ रचनाएं लिख लिया करती थी , पर मुझे अपनी इस योग्यता पर इतना विश्वास नहीं था कि इसकी ब…
वैसे तो उम्र छुपाने के मामलों में सिर्फ महिलाएं ही बदनाम हैं , पर आजकल कई दफे पुरूषों को भी उम्र छुपाते देखा गया है। भले ही किसी मुसीबत में आते ही या अन्य ज्योतिषीय जिज्ञासा से हम ज्योतिषियों के सामने लोग सही जन्मतिथि प्रदा…
अभी तक आपने पढा .... बच्चे अपनी पढाई में व्यस्त हो गए थे और धीरे धीरे बोकारो में हमारा मन लगता जा रहा था , पर स्कूल के कारण सुबह जल्दी उठना पडता , इसलिए दस बजे तक प्रतिदिन के सारे कामों से निवृत्त हो जाती तथा उसके बाद दो …
religion in indian society बात पिछले नवरात्र की है , मेरी छोटी बहन को कंजिका पूजन के लिए कुछ बच्चियों की जरूरत थी। इन दिनों में कंजिका ओं की संख्या कम होने के कारण मांग काफी बढ़ जाती है। मुहल्ले के सारे घरों में घूमने से त…
अभी तक आपने पढा .... खासकर बच्चों के पढाई के लिए ही तो हमलोग अपना नया जीवन बोकारो में शुरू करने आए थे , इसलिए बच्चों के पढाई के बारे में चर्चा करना सबसे आवश्यक था , जिसमें ही देर हो गयी। बचपन से जिन बच्चों की कॉपी में कभी ग…
how to stop superstition in hindi कई दिन पूर्व एक खास कार्यक्रम के लिए दूसरे शहर में जाना हुआ , पर जाने के बाद ही कार्यक्रम के रद्द होने की सूचना मिली। वैसे सामान्य तौर पर टी वी देखने की मेरी आदत नहीं, कितने दिन पहले मैं टी…
अभी तक आपने पढा ....... हर प्रकार के सुख सुविधायुक्त वातावरण होने के कारण हमलोग कुछ ही दिनों में आसानी से बोकारो में और बच्चे अपने नए स्कूल में एडजस्ट करने लगे थे। पर यहां रिश्तेदारों या परिचितों की संख्या बहुत कम थी , इ…
अभी तक आपने पढा .... वैसे तो बोकारो बहुत ही शांत जगह है और यहां आपराधिक माहौल भी न के बराबर , कभी कभार चोरी वगैरह की घटनाएं अवश्य हुआ करती हैं , जिसके लिए आवश्यक सावधानी बरतना आवश्यक है। यहां किसी क्वार्टर को खाली छोडकर छुट…
अभी तक आपने पढा .... 20 वीं सदी का अंत संचार के मामलों में बहुत ही प्रगति पर था और भारतवर्ष के शहरों की बात क्या ग्रामीण अंचल भी इससे अछूते नहीं थे। भले ही हम शहरी क्षेत्र में थे , पर पूरे परिवार में सबसे पहले 1990 में हमारे …
पिछले पोस्टों में आप पढ ही चुके हैं ... बच्चों के एडमिशन के बाद हमलोगों को बिना किसी तैयारी के ही एक महीने के अंदर बोकारो में शिफ्ट करना पड गया था। शहर के कई कॉलोनी में दौडते भागते अंत में सेक्टर 4 में एक क्वार्टर मिलने के…
घर में दो कैमरे वाले मोबाइल थे , दोनो बेटे लेकर चले गए। इच्छा है , एक डिजिटल कैमरा ही ले लिया जाए । पर उपयुक्त जानकारी के अभाव में निर्णय नहीं ले पा रही। मेरा बजट लगभग 10,000 रूपए का है , ज्ञानी पाठक जन सटीक राय देने की कृपा …
बोकारो के सेक्टर 4 में आने तक स्थायित्व की कमी के कारण हम किसी कामवाली को भी नहीं रख पाए थे , सब कहते कि पूरी प्रोफेशनल हैं यहां कि कामवालियां , उन्हें महीने के पैसों और काम से मतलब होता है बस। पर नए जगह में किसपर विश्वास …
अभी तक आपने पढा .. बोकारो में कक्षा 1 और 3 में पढने वाले दो छोटे छोटे बच्चों को लेकर अकेले रहना आसान न था , स्वास्थ्य के प्रति काफी सचेत रहती। पर बच्चों को कभी सर्दी , कभी खांसी तो कभी बुखार आ ही जाते थे , मेरी परेशानी तो …
अभी तक आपने पढा .. जब बच्चे छोटे थे , तो जिस कॉलोनी में उनका पालन पोषण हुआ , वहां दूध की व्यवस्था बिल्कुल अच्छी नहीं थी। दूधवालों की संख्या की कमी के कारण उनका एकाधिकार होता था और दूध खरीदने वाले मजबूरी में सबकुछ झेलने …
अभी तक आपने पढा ... बोकारो में आने के तुरंत हमलोगों को अखबार की जरूरत पड गयी थी , ताकि रोज की खबरों पर नजर रखी जा सके , क्यूंकि उस समय हमारे पास टी वी नहीं था। रेडियो का तो तब शहरों में समय ही समाप्त ही हो चुका था। पडोस में …
पिछले तीन आलेखों में आपने पढा कि किन परिस्थितियों में हमें तीन चार महीनों में तीन घर बदलने पडे थे , सेक्टर 4 के छोटे से क्वार्टर में पहुंच चुके थे। यहां आने के बाद हमलोग यहां के माहौल के अनुरूप धीरे धीरे ढलते जा रहे थ। यहां आ…
बोकारो स्टील सिटी के मेरे अपने अनुभव की पिछली तीनों कडियां पढने के लिए आप यहां , यहां और यहां चटका लगाएं , अब आगे बढते हैं। कॉपरेटिव कॉलोनी के प्लाट नं 420 में अभी साफ सफाई और सेटिंग में व्यस्त ही थे कि बोकारो के निक…
पिछले इस और इस आलेख के माध्यम से क्रमश: आपको जानकारी हुई कि किन परिस्थितियों में हमने अपने बच्चों का बोकारो के स्कूल में एडमिशन कराया और हमें एक महीने तक चास में विपरीत परिस्थितियों में रहने को बाध्य होना पडा। घर लौटने पर…
पिछले अंक में आपने पढा कि कितनी माथापच्ची के बाद हमने आखिरकार बच्चों का बोकारो में एडमिशन करवा ही लिया। 1998 के फरवरी के अंत में बच्चों के दाखिले से लेकर स्कूल के लिए अन्य आवश्यक सामानों की खरीदारी , जो आजकल आमतौर पर स्क…
बेटे के एडमिशन के सिलसिले में एक सप्ताह से नेट से , ब्लॉग जगत से दूर थी , कुछ भी लिखना पढना नहीं हो पाया। दो वर्ष पहले जब बडे बेटे ने अपनी पढाई के लिए घर से बाहर कदम बढाया था , छोटे की घर में मौजूदगी के कारण बनी व्यस्तता ने…