ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव पृथ्वी के जड चेतन पर पड सकता है , इसे लेकर लोगों के मन में बडा संशय बना होता है। इतने दिनों से ज्योतिष के अध्ययन के बाद पृथ्वी में घटनेवाली घटनाओं का ग्रहों से संबंध और ग्रहों के हिसाब से लोगों के जीवन को प्रभावित होते देखकर हमें अब संशय तो नहीं , पर आश्चर्य अवश्य होता है। भाग्य और भगवान तो आस्था की बातें हैं , पर 'गत्यात्मक ज्योतिष' हमेशा ग्रहों के पृथ्वी पर पडनेवाले वैज्ञानिक प्रभाव की ही चर्चा करता है।
पिछले आलेख में मैने लिखा था कि 16 सितंबर के आसपास का ग्रहयोग पृथ्वी के मौसम को प्रभावित करनेवाला है , इस दौरान भारत ही नहीं , कई देशों में कई तूफान और भूकम्प तक आए। भारत में इस दौरान बारिश का मौसम था , इसलिए इसके अछूते होने का तो प्रश्न ही नहीं था। आसमान में सुदूर स्थित ग्रह की गति मौसम पर प्रभाव डालते हैं , यह तो काफी दिनों से हमने महसूस किया है , पर अचानक चक्रवात बनने , आंधी तूफान आने और बादलों के इकट्ठे होने की वजह ग्रह कैसे हो सकता है , इसके बारे में पहली बार पिताजी से रोचक जानकारी मिली।
उन्होने बताया कि एक तेज गति की ट्रेन कुछ मीटर तक की हवाओं को अपने साथ लेकर चलती है। यदि सामने की दिशा से भी कोई ट्रेन आ रही हो , तो वह भी अपने साथ कुछ मीटर तक की हवा को लेकर चल सकती है। यदि आमने और सामने के ट्रेन की गति में अंतर हो , तो जिस ट्रेन की गति तेज होगी , उसकी ओर हवा को रूख होता जाएगा । यदि कुछ देर के लिए दोनो ट्रेनों को समान गति से चलाया जाए तो भौतिकी के नियम के हिसाब से ही दोनो की गति के कारण उनके मध्य चक्रवात बनता दिखाई दे सकता है।
एक ट्रेन की तुलना में ग्रह लाखों गुणा शक्तिशाली हैं , और अपनी तेज गति के कारण वे लाखों किमी तक की दूरी को प्रभावित कर सकते हैं। पर किसी भी ग्रह का अपना वायुमंडल तो अपने ग्रह की गति के सापेक्ष घूमता होता है , उसके बाद शून्य में किसी भी शक्ति के प्रभाव को स्पष्ट देखना मुश्किल है। इसलिए आसमान में गतिशील किसी भी दो ग्रहों की सापेक्षिक गति का प्रभाव पृथ्वी या दूसरे ग्रह के वायुमंडल पर पडता है। और इस कारण अचानक दो चार दिनों के लिए तेज हवाएं , आंधी , तूफान और बादलों के इकट्ठे होने से तेज बारिश आदि की संभावना बन जाती है।
मेरे पिताजी का मानना है कि हमारे जैसे एक ज्योतिषी के पास आज के वैज्ञानिक युग के अनुरूप संसाधन नहीं मौजूद होते , इसलिए तिथि की जानकारी होते हुए भी ग्रहों के द्वारा प्रभावित होनेवाले पृथ्वी के खास हिस्से को इंगित नहीं किया जा सकता है। पर यदि मौसम विभाग के वैज्ञानिक ज्योतिषी के साथ मिलकर इन तथ्यों की ओर ध्यान दें तो उन्हें आशातीत सफलता मिल सकती है। विज्ञान की पढाई के बाद ज्योतिष के अध्ययन , चिंतन और रिसर्च में अपना पूरा जीवन व्यतीत करने के बाद इस प्रकार के कई तथ्यों का उल्लेख अपने लेखों में किया है , जिसके द्वारा पृथ्वी के मौसम पर ग्रहों के पडनेवाले प्रभाव का उल्लेख है।